मैं कलमकार तो नहीं हूँ लेकिन अभिव्यक्ति की आजादी नाम के तांडव पर कुछ लिखने को मजबूर हूँ,आज अभिव्यक्ति की आजादी की सीमाएं इतनी विस्तृत हो गयी है की इतिहास को नंगे नाच से जोड़कर पैसे जोड़ने का काम हो रहा है,ऐतिहासिक तथ्यों को ग्रन्थों और इतिहासविदों के बजाय फिल्मकार प्रमाणित कर रहे है,मैं बात कर रहा हूँ फ़िल्म ‘पद्मावती’ की…..फ़िल्म पद्मावती पर सबने सुर्खियां बटोरीं है यदि घाटा हुआ है,तो सिर्फ आम राजपूत को,राजपूताने के इतिहास और राजपूताने की गौरवमयी छवि को….।।
कितनी राजनीति हो रही है….सब अपनी-अपनी दुकान जमाने में लगे है,किसी को कोई बात नहीं कचोटती सिर्फ दिखावा करके राजपूतों की भावना से खेला जा रहा है।।
BJP ने बड़ी होशयारी से राजनीति खेली,गिने चुने नेताओं से बयान दिलाए कार्यवाही के नाम से हमें ठगा गया,स्मृति ईरानी के बयान के बाद बाकी बड़े नेताओं की जैसे जबान ही काट ली हो। फिर गुजरात को देखकर नेताओं को होश आया। योगी जी ने अपने अंदाज के अनुसार ही बोले और काम किया,प्रखंड हिंदूवादी। मामा शिवराज का भी जोश जाग उठा। राजस्थान की महारानी मेडम ने भी जख्मों पर मरहम लगाने के प्रयास किया,लेकिन बहुत देर लगा दी हिम्मत करने में । फिर रूपानी जी को भी रोक लगाने का आदेश मिला चुनावों के मद्देनजर……और यही BJP गुजरात चुनावों के बाद लोकतंत्र का सहारे लेते हुए फिर धोखा करेगी।।
RSS, शिवसेना और काफी धर्म के ठेकेदार और फिल्मी हस्तियों के असली चेहरे जरूर सामने आए है और कुछ ढोंगी नेताओं की भी पहचान हो गयी। भाई चन्दा सबको चाहिए, विरोध करके क्या मिलेगा ??
धर्म के नाम पर अपने को तो ऐशोआराम करना है,हिंदुत्व तो हमारी दुकान है, दुकान चलाने के लिए तो भड़काऊ बोल बोलने है,वो वोट आएंगे तब बोलेंगे। अम्बानी और भंसाली ने क्या बिगाड़ दिया हिंदुत्व का ?? अगर किसी और ने अपनी अभिव्यक्ति की आजदी ज्यादा दिखा दी तो उसे देशद्रोही करार दे देंगे ,आखिर सरकार भी अपनी ही है,कोई बोल के ही दिखाए हिंदुत्व के बारे में ,ये है हिंदूवादी संगठनों की ताकत…।।
बाकी बचे मीडिया जगत और पत्रकारों ने भी राजपूतों पर कीचड़ उछालने में कोई कमी नहीं रखी…TV डिबेट में उन्हीं राजपूत नेताओं को बुलाया जाता जो बिना तथ्य आए और भड़काऊ बयान देवे जिससे राजपूतों को एक बार फिर क्रूर,अत्याचारी दिखाया जाए,बिकाऊ मीडिया वाले राजपूती नीलाम करने में लगे हुए थे ।।
रही बात करणी सेना की……करणी सेना ने अपनी छवि शिव सेना की तरह तेज तर्रार और माफियाई पार्टी की बनाई और साथ ही साथ सारे भारत में समुदाय विशेष कट्टर पार्टी का उदय हुआ और आगे की राजनीतिक दुनिया में अपने पैर जमाने में नीवं का पत्थर डालने में सफल हुई। कालवी साहब को भी समाज का नेता और बोलने के लिए मंच मिल गया ।।
लेकिन जब तक करणी सेना के दो धड़े एक साथ नही होंगे तब तक समाज को कोई फायदा नहीं होने वाला,दोनो ही समाज के नाम पर अपनी राजनीति चमकाएंगे।।
करणी सेना को सम्पूर्ण भारत के राजपूतों की बागडोर हाथ जरूर लगी,नेतृत्व भी अच्छा किया फिर भी महिपालसिंह मकराना और कुछ ओछे नेताओं के बयानों ने राजपूतों की छवि को ज्यादा धूमिल किया।।
रही बात भंसाली की उन्होंने तो मास्टर स्टॉक ही खेला 2-3 थप्पड़ों के बदले इतिहास में फ़िल्म का नाम लिखवाने चले है,फ़िल्म का बिना पैसे लगाए इतना प्रचार हुआ है की अब 2-3 राज्यों में रोक भी लगे तो भी फ़िल्म को Blockbuster होने से कोई रोक नहीं सकता।
आखिर सबने रोटियां सेकी है,रहे तो आम राजपूत जिन्होंने बिना फायदा देखे कई आपराधिक केस लेकर भी इस लड़ाई में जान फूंकी,यदि ये लड़ाई कुछ दिनों तक ऐसे ही चलती तो बहुत से लोग कानून के दायरे और खादी के कुर्ते पहने नेताओं से अपने आप निपट लेते,लेकिन नेताओं को अपनी फिक्र सबसे ज्यादा है इसलिए ऐसा हुआ नहीं और होगा भी नहीं…।।
फ़िल्म थोड़ी से एडिटिंग के बाद जरूर आएगी,यदि ज्यादा विरोध रहा तो 2-3 राज्यों में रोक लगेगी,अभीे तो सिर्फ गुजरात चुनाव का इंतज़ार है,फिर BJP को भी अनुशासन और लोकतंत्र याद आएगा।।
आखिर नारी शक्ति और मान मर्यादा की लड़ाई में राजपूतों के साथ आज भी सर्व समाज दिखा, सबने पुरजोर से समर्थन किया ,एक बात तो साफ है आज भी राजपूतों पर लोगों का विश्वास कायम है और हमें इसे बरकरार रखना होगा।।